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7 मार्च को हुए एलन के वर्कशाॅप में इंटरनेशनल मोटिवेशनल गुरू एवं क्वालिफाइड लर्निंग सिस्टम, यूएसए के फाउंडर श्री शिव खेड़ा बोले- ‘एजुकेशन में कोटा का नाम नेशनल और ग्लोबल लेवल पर सुना। इंटरनेट से पता चला कि हर साल यहां से शानदार अचीवमेंट्स आ रहे हैं। मेरे विचार में टीचर स्कूल में पेरेंट्स के रोल में हैं, जबकि घर में पेरेंट्स ही टीचर हैं। जरा ध्यान से सोचें कि प्रतिदिन हम इस नियम को कितना निभा रहे हैं। जिदंगी में सफल होना है तो किसान की तरह बनना पड़ेगा। हमें अच्छा बगीचा चाहिए तो अच्छे बीज प्लांट करने ही होंगे। बच्चों को स्कूल में रिपेयर नहीं प्रिपेयर करें।’
15 वर्ष पहले तक 15 फीसदी ग्लोबल बिजनेस पहले 5 वर्ष में पुराने हो जाते थे। लेकिन बदलाव की स्पीड है। जिस दिन प्राॅडक्ट लांच होता है, उसी दिन रात तक पुराना हो जाता है। सभी नए अवसर देख रहे हैं। इस दौर में अमेरिका में 90 फीसदी बिजनेस फेल हो रहे हैं। हमारे देश में बीटेक या एमबीबीएस में फस्र्ट ईयर जो पढ़ते हैं, वह फाइनल ईयर तक पुराना हो जाता है। नाॅलेज 2-3 साल तक चलती है।
सक्सेस का ब्लू प्रिंट समझें तो आज पीपुल प्राॅब्लम सबसे पहले आती है। कुछ लोग रिकाॅर्ड ब्रेक करते हैं, वहीं अन्य लोग खुद को ब्रेक करने में लगे हैं। मुझे एक किस्सा याद आता है, 1972 में म्यूनिख ओलिम्पियाड में 7 गोल्ड मेडल जीतने पर स्विमिंग एथेलिट मार्क स्पिट्ज से कहा कि आप लकी हैं तो उसने जवाब दिया कि 8 घंटे पानी में रहें आप भी लकी हो सकते हैं। उसने 4 साल में 10 हजार घंटों तक पानी में ट्रेनिंग ली यानी रोज 8 घंटे पानी में रहा। इसलिए भाग्य हमें डिजाइन नहीं कर सकता। इसके लिए ट्रेनिंग जरूरी है। कोटा में शिक्षक खुद कोच बनकर अच्छी ट्रेनिंग दे रहे है ।
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याद रखें, हर प्राॅब्लम फिर एक नई प्राॅब्लम देती है। सफलता इससे नहीं मापी जा सकती कि कितने ऊपर पहुंचे हैं। बल्कि यह देखो कि गिरकर फिर से कितनी बार ऊपर उठे। अपनी क्षमता के अनुसार आप कैसा कर रहे हैं। जीतने वाले हर काम सिर्फ हाथ या दिमाग से नहीं दिल से भी करते हैं। वे हर काम अलग ढंग से करते हैं।
“आज टाइम एरोप्लेन की तरह है, आप इसके पायलट हैं। यदि प्राथमिकता ठीक नहीं होगी तो हम पायलट से पैसेंजर बन जाएंगे। इसलिए जिंदगी में स्पीड से ज्यादा महत्वपूर्ण है डायरेक्शन।” अच्छे गुरू आपकी प्यास नहीं बुझाते बल्कि आपको प्यासा बनाते हैं। आपको जिज्ञासु बनाते हैं, जो जिदंगी में सफल होने के लिए बहुत जरूरी है। जिंदगी में फिलिंग्स और फैल्योर कभी बराबर नहीं होते। एक बार फिर से खडे़ हो जाओ… यही आपकी विल यानी इरादा है। कुदरत पंछियों को खाना जरूर देती है, लेकिन उनके घौसलों में नहीं डालती। इसलिए निरंतर मेहनत करते रहो- ‘यू केन विन’।
जिंदगी में सप्लीमेंट का काम करती हैं पाॅजिटिव चीजें
श्री शिव खेडा ने कहा कि हर बच्चे की चुनौतियां परिवार से शुरू होती हैं, इसलिए समाज में गुड पेरेंटिंग पर ध्यान देना होगा। सफल होने के लिए काबिलियत से ज्यादा इरादे की अहमियत होती है। जीवन में पाॅजिटिव चीजें सप्लीमेंट्स का काम करती हैं, वे मल्टीबायोटिक होती हैं न कि एंटीबायोटिक। जो इंसान पाॅजिटिव सोच रखते हैं वे समस्या की बजाय समाधान पर फोकस रहते हैं। हर कम्पनी की एक ब्रांड इक्विटी होती है, वैसे ही इंसान की भी ब्रांड इक्विटी होती है। आपका नाम लेते ही दूसरों के मन में जो विचार आएं, वही आपकी क्वालिटी है।
सही चीजों को गलत तरीके से करना छोड़ दें। हम खुद को भावनाओं से पहचानते हैं, जबकि दुनिया हमें काम से पहचानती है। हमे अच्छे आइडिया मिलते हैं, लेकिन अनुसरण करने की बजाय हमें उन्हें रिजेक्ट कर देते हैं। हमारी जिंदगी में प्राथमिकता सिद्धांतों और उसूलों पर टिकी होती है।
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किसी भी इंफोर्मेशन को आप रिवाइज नहीं करें तो 30 दिन बाद उसे केवल 4 प्रतिशत से कम ही रिकाॅल कर पाएंगे, शेष 96 प्रतिशत को विद्यार्थी भूल जाएंगे। ऐसे में किसी भी चेप्टर को पढने के बाद 24 घंटे में दोहरा लें तो 70 प्रतिशत तक फिर से रिकाॅल हो सकता है। मैमोरी बढ़ाने का अच्छा तरीका है। सेहत हो या रिश्ते जीवन में जो महत्वपूर्ण है, उसकी अनदेखी करेंगे तो वह अर्जेट बन जाएगा। पाॅजिटव प्रयास हमारी सफलता की संभावना को बढ़ाते हैं।
पॉजिटिव एटीट्यूड से दें 100 प्रतिशत आउटपुट-
✔जीतने वाले लाभ देखते हैं, हारने वाले नुकसान।
✔आपको लगता है कि आप कर सकते हैं तो आप कर सकते हैं।
✔विपरीत स्थितियों मे कुछ लोग टूट जाते हैं, वहीं कुछ लोग रिकार्ड तोड़ते हैं।
✔विजेता बोलते हैं कि मुझे कुछ करना चाहिए, हारने वाले बोलते हैं कि कुछ होना चाहिए।
✔यदि आपके पास कोई डिग्री नहीं है तो आप कुछ भी कर सकते है।
✔इंस्पीरेशन सोच है जबकि मोटिवेशन कार्रवाई है।
✔अनुशासन आजादी से नहीं आता, अनुशासन आपको आजादी देता है।
✔एक तैराक तैरते हुए पानी में सांस लेता है, उसी तरह सफलता भी मेहनत पर निर्भर है।