कोटा। प्रतिभा छिपाए नहीं छिपती, कुश्ती का मैदान हो या ज्ञान का मंदिर। जुनून है तो सामने आता ही है। कोचिंग नगरी कोटा में यह जुनून देखने को भी मिल रहा है। कोटा की श्रेष्ठ कोचिंग और यहां मिलने वाली राष्ट्रीय स्तर की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के चलते यहां के छात्र छोटी उम्र में बड़ी उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं। हाल ही में यहां के छात्र ने अपने से बड़ों को पढ़ाई के दंगल में मात दे दी है। कक्षा 8 के 13 वर्षीय छात्र जीवेश ने दसवीं तक के स्टूडेंट्स के लिए होने वाले इंटरनेशनल जूनियर साइंस ओलम्पियाड के पहले चरण नेशनल स्टैण्डर्ड एग्जामिनेशन इन जूनियर साइंस (एनएसईजेएस-2017) में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर देश में टॉप किया है। संभवतः ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी छोटी कक्षा के स्टूडेंट ने जूनियर लेवल के लिए अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले सबसे बड़े ओलम्पियाड के पहले चरण में देश में टॉप किया है। एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के छात्र जीवेश ने इस परीक्षा में 197 अंक प्राप्त किए हैं। आईजेएसओ द्वितीय चरण के लिए होने वाली इस परीक्षा के लिए देशभर के हजारों स्टूडेंट्स में से श्रेष्ठ 310 स्टूडेंट्स को द्वितीय चरण के लिए चुना गया, इनमें जीवेश ने टॉप किया।
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दीदी की किताबों से पढ़ ली बॉयलोजी
जीवेश ने सिर्फ इस वर्ष ही आईजेएसओ के पहले राउण्ड में टॉप कर श्रेष्ठता सिद्ध नहीं की है, इससे पहले भी वह अपनी से बड़ी कक्षा के स्टूडेंट्स को राष्ट्रीय स्तर पर चुनौती दे चुका है। गत वर्ष ही 12 साल की उम्र में एलन के कक्षा 7 के छात्र जीवेश ने 18 साल आयुवर्ग तक के लिए होने वाले बॉयलोजी ओलम्पियाड के पहले चरण नेशनल स्टैण्डर्ड एग्जामिनेशन इन बॉयलोजी (एनएसईबी-2016) के प्रथम चरण को क्वालीफाई कर धूम मचाई थी। इस परीक्षा में 12वीं तक के स्टूडेंट्स शामिल होते हैं लेकिन जीवेश ने कक्षा 7 में अपनी बड़ी बहन की किताबें पढ़कर बॉयलोजी की तैयारी की। जीवेश की बड़ी बहन हर्षा भी कोटा के एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में प्री मेडिकल की तैयारी कर रही थी, इसी दौरान जीवेश ने बॉयलोजी की पढ़ाई की और पहले राउण्ड में क्वालीफाई कर लिया।
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मेडल लाना है लक्ष्य
बातचीत में जीवेश ने बताया कि इस वर्ष अन्तरराष्ट्रीय जूनियर साइंस ओलम्पियाड में देश के लिए मेडल लाना प्राथमिकता रहेगी। अभी हर लेवल के अनुसार तैयारी कर रहा हूं। पहले चरण के बाद अब दूसरे चरण की तैयारी शुरू कर दी है। कक्षा 8 में होकर कक्षा 10 तक के स्टूडेंट्स के बौद्धिक स्तर से मुकाबला करने की बात पर जीवेश ने कहा कि इसके लिए अलग से मेहनत चाहिए। नियमित पढ़ाई में पहले आठवीं तक का सिलेबस पूरा किया, इसके बाद अपना स्तर बढ़ाने के लिए अगले स्तर की पढ़ाई की। ऐसे में कुछ ज्यादा मेहनत तो करनी पड़ती है। मैं अपनी पढ़ाई फोकस होकर करना चाहता हूं। जीवेश ने कहा कि कोटा का माहौल पढ़ाई के लिए बहुत अनुकूल है, यही कारण है कि मैं स्वयं का आंकलन कर पा रहा हूं। यहां टीचर्स की मदद भी पूरी मिलती रहती है। मूलतः हरियाणा से हूं। मां और दीदी ने बहुत सपोर्ट किया है। मां दर्शना देवी स्टाफ नर्स हैं तथा पिता नरेश जून दिल्ली पुलिस में हैं।
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इस तरह की प्रतिभाओं के साथ मेहनत करना हमारे लिए भी अच्छा अनुभव होता है। हम चाहते हैं कि ऐसे स्टूडेंट्स को कोटा में ज्यादा से ज्यादा लाभ दें, इन्हें इनकी योग्यता के अनुरूप सक्षम बनाएं और इनकी मंजिल की तरफ आगे बढ़ने में योगदान दें।