8 साल की उम्र में बनी बालिका वधु रूपा अब बनेगी डॉक्टर

Rupa Yadav – A Perfect Example for all Village Girls for Complete their dreams

गांव की बालिका वधु 👩 ने सामाजिक बेड़ियों को तोड़ते हुए डॉक्टर बनने की मिसाल पेश की 📯
पति और जीजा ने टेम्पो चलाकर उठाया पढ़ाई का खर्च
कोटा। मेरे हाथों की लकीरों के इजाफे हैं गवाह, मैंने पत्थर की तरह खुद को तराशा है बहुत…. यूं तो हाथों की लकीरें किस्मत बयां करती है लेकिन संघर्ष यदि जुनूनी हो तो लकीरें भी बदल जाती हैं और किस्मत भी।
कुछ ऐसा ही यहां हुआ है। कक्षा 3 में पढ़ रही 8 साल की अबोध बालिका के नासमझी में ही सात फेरे हो गए। बालिका वधु बन गई, घर के कामकाज में भी लगी लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी। गौना नहीं होने तक पीहर में पढ़ी, फिर ससुराल वालों ने पढ़ाया। ससुराल में पति और उनके बड़े भाई (जीजा) ने तमाम सामाजिक बाध्यताओं को दरकिनार करते हुए बहू की पढ़ाई करवाई। पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए दोनों ने खेती करने के साथ-साथ टेम्पो चलाया। बहू ने डॉक्टर बनने की ठानी, दो साल कोटा में एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट से कोचिंग करके दिन-रात पढ़ाई की और अब ये बालिका वधु डॉक्टर बनेगी। जी हां, ये बालिका वधु है जयपुर के चौमू क्षेत्र के छोटे से गांव करेरी निवासी रूपा यादव जिसने नीट-2017 में 603 अंक प्राप्त किए हैं और अब काउंसलिंग की प्रक्रिया से गुजर रही हैं। प्राप्तांकों के आधार पर प्रदेश के सरकारी कॉलेज में प्रवेश मिलना अपेक्षित है।
—-
ऐसे बनी बालिका वधु
रूपा ने बताया कि परिवार मूलरूप से जयपुर जिले के चौमू क्षेत्र के करेरी गांव में रहता है। यहीं मेरा जन्म 5 जुलाई 1996 को हुआ। गांव के ही सरकारी स्कूल में पढ़ती थी। तीसरी क्लास में थी तब बड़ी बहन रूकमा देवी की शादी हुई। उसी के साथ मेरी भी शादी कर दी गई। तब तक मुझे शादी का अर्थ भी सही से पता नहीं था। गुड्डे-गुड्डियों से खेलने की उम्र में ही शादी के बंधन में बंध गई। हम दोनों बहनों की दोनों भाइयों से शादी हुई थी। पति शंकरलाल की भी उम्र तब 12 साल की ही थी। सातवीं क्लास में पढ़ते थे। मेरा गौना दसवीं क्लास में हुआ। गांव में आठवीं तक सरकारी स्कूल था तो इसमें ही पढ़ी। इसके बाद पास के गांव के प्राइवेट स्कूल में एडमिशन लिया और वहीं से 10वीं तक की पढ़ाई की। दसवीं की परीक्षा दी और गौना हो गया। जब रिजल्ट आया तब ससुराल में थी। पता चला कि 84 प्रतिशत अंक आए हैं। ससुराल में आस-पास की महिलाओं ने घरवालों से कहा कि बच्ची पढ़ने वाली है तो इसे पढ़ाओ। पति शंकरलाल व जीजा जी बाबूलाल यादव ने इस बात को स्वीकारा और मेरा एडमिशन गांव से करीब 6 किलोमीटर दूर प्राइवेट स्कूल में आगे की पढ़ाई के लिए करवा दिया।

Rupa’s Childhood Marriage Picture

इसलिए बनना चाहती हूं डॉक्टर
10वीं में अच्छे अंक आए, पढ़ाई के दौरान ही मेरे सगे चाचा भीमाराम यादव की हृदयाघात से मौत हो गई। उन्हें पूरी तरह से उपचार भी नहीं मिल सका। इसके बाद ही मैंने बॉयलोजी लेकर डॉक्टर बनने का संकल्प लिया। ससुराल चली गई, वहां भी प्राइवेट स्कूल में एडमिशन हो गया, लेकिन 11वीं की पढ़ाई के दौरान बहुत कम स्कूल जा पाती थी। घर के कामकाज में भी पूरा हाथ बंटाती थी। गांव से तीन किलोमीटर स्टेशन तक जाना होता था, वहां से बस से तीन किलोमीटर दूर ही स्कूल जाती थी। 11वीं में भी 81 प्रतिशत अंक आए। 12वीं की परीक्षा दी और 84 प्रतिशत अंक आए। पारिवारिक स्थिति पीहर और ससुराल दोनों जगह की ठीक नहीं है। ऐसे में इंस्पायर अवार्ड लेने के लिए बीएससी में एडमिशन ले लिया। इसी वर्ष मैंने बीएससी प्रथम वर्ष के साथ एआईपीएमटी की परीक्षा भी दी। इसमें मेरे 415 नम्बर आए और करीब 23000 रैंक आई।
—-
कोटा से मिला सम्बल
मैंने पति को आगे पढ़ने के लिए बोला। उन्होंने बड़े भाई और मेरे जीजा से चर्चा की। जीजा ने पूरी जिम्मेदारी लेते हुए मेरी पढ़ाई करवाने की बात कही। उन्होंने कहा कि जमीन बेचनी पड़ी तो बेच देंगे लेकिन तुम पढ़ो। मुझे कोटा भेजा, एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में एडमिशन करवाया। कोटा में पढ़ने आई तो यहां का माहौल बहुत सकारात्मक और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने वाला था। शिक्षक बहुत मदद करते थे। कोटा में रहकर एक साल मेहनत करके मैं मेरे लक्ष्य के बहुत करीब पहुंच गई। मैंने गत वर्ष नीट में 506 अंक प्राप्त किए, मैं अपने लक्ष्य से थोड़ी सी दूर रह गई। अगले वर्ष फिर से कोचिंग करने में परिवार की आर्थिक परिस्थितियां आडे़ आ रही थी। परिवार असमंजस में था कि कोचिंग करवाएं या नहीं, ऐसे में एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट ने हाथ थामा, मुझे पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। संस्थान द्वारा मेरी 75 प्रतिशत फीस माफ कर दी गई। सालभर दिन-रात मेहनत की। इस वर्ष 603 अंक प्राप्त किए। नीट रैंक 2283 है। यदि मैं कोटा नहीं आती तो शायद आज बीएससी करके घर के कामकाज कर रही होती।

Watch the Success Story of Rupa Yadav : 


ताने सहे लेकिन हिम्मत नहीं हारी
मैं आज जहां तक भी पहुंची हूं, इसमें ससुराल का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इतना साथ नहीं मिलता तो शायद आगे नहीं बढ़ पाती। पहले साल जब मेरा सलेक्शन नहीं हुआ तो गांव वालों की तरफ से खुसर-फुसर होने लगी। क्यों पढ़ा रहे हो, क्या करोगे पढ़ाकर, घर की बहू है काम करवाओ, इस तरह की बातें आने लगी। यही नहीं मेरे कोटा में पढ़ाई के दौरान ससुराल वालों ने खर्चों की पूर्ति के लिए उधार पैसे लेकर भैंस खरीदी थी ताकि दूध बेचकर अतिरिक्त कमाई की जा सके लेकिन ये भैंस भी 15 दिन में मर गई। इससे करीब सवा लाख का घाटा हुआ लेकिन मुझे किसी ने नहीं बताया। ऐसे तानों के तनाव और विपरीत हालातों के बावजूद पति व जीजा जी और मजबूत हो गए और बोले लोगों को कहने दो, तुम तो अपना पढ़ो। दुबारा मुझे कोटा भेजा और पढ़वाने की बात कही। मैं भी प्रोत्साहित हुई और ज्यादा से ज्यादा पढ़ने की कोशिश की। मेरी फीस तो संस्था ने माफ कर दी थी लेकिन कोटा में रहने व अन्य खर्च उठाने के लिए पति और जीजा जी टेम्पो चलाने का अतिरिक्त काम शुरू कर दिया। रोजाना 8 से 9 घंटे सेल्फ स्टडी करती थी।

निर्धन परिवार की प्रतिभा
रूपा ने बताया पीहर में पिता मालीराम यादव किसान हैं। 13 बीघा जमीन है और पांचवी तक पढे़ हुए हैं। मां रमसी देवी यादव निरक्षर हैं। हम पांच भाई-बहन हैं और मैं सबसे छोटी हूं। परिवार खेती पर ही निर्भर हैं। इसी तरह ससुराल पक्ष मूलतः जयपुर के ही चौमू क्षेत्र के नीमाणा के रहने वाले हैं। ससुर कान्हाराम यादव किसान हैं। सासु मां बीदानी देवी गृहिणी हैं। करीब 25 बीघा टीले की जमीन है, जिस पर पूरी तरह से खेती भी नहीं होती। इसीलिए जीजा जी और पति टेम्पो चलाकर घर का काम चलाते हैं। पति शंकरलाल ने बीए किया हुआ है और खेती करते हैं।
—-
चूल्हा-चौका, खेती-बाड़ी सब करती है
रूपा ने बताया कि दो साल कोटा में कोचिंग के दौरान जब भी कभी घर जाती थी तो घर का सारा काम करती थी। अभी भी सुबह-शाम का खाना बनाने के साथ-साथ झाड़ू और पौछा लगाती हूं। इसके साथ ही खेत में बाजरा बोया था तो इन दिनों खरपतवार हटाने का काम चल रहा है। यह सारा काम भी करती हूं।
—-
आगे की पढ़ाई के लिए एलन देगा स्कॉलरशिप
हम रूपा और उसके परिवार के जज्बे को सलाम करते हैं। ऐसी प्रतिभाएं आगे आती हैं तो कोटा की मेहनत सफल होती है, उद्देश्य पूरा होता है। रूपा ने जो असाधारण परिस्थितियों के बावजूद जो कामयाबी हासिल की है, वो हम सबके लिए प्रेरणा की मिसाल है। एलन संस्थान द्वारा रूपा की मदद का सिलसिला आगे भी जारी रखा जाएगा, उसे एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान चार साल तक मासिक छात्रवृत्ति दी जाएगी। – नवीन माहेश्वरी, निदेशक, एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट

Administrator

Recent Posts

JEE Main 2024 – NTA Debars 39 Students for 3 Years, Know Why?

Due to Use of Unfair Means, These Aspirants Will Not be Able to Appear in…

3 hours ago

NEET UG 2024 Admit Cards Released

NEET UG 2024 Exam Would be Held on 5 May 2024 NEET UG 2024 admit…

9 hours ago

ALLEN Students to Represent India in IPhO Finals

4 Out of 5 ALLEN Students in India Team ALLEN classroom students have once again…

1 day ago

Uttarakhand (UK) Class 12th Board Results 2024 Announced, Check Here

UK board Class 12 Have Been Declared on - ubse.uk.gov.in The Class 12 results of…

2 days ago

JEE Advanced 2024 – Now Exam Centres in Abu Dhabi, Dubai & Kathmandu

More Than 44k Aspirants Applied for JEE Advanced 2024 The Application for JEE-Advanced 2024, the…

2 days ago

Telangana Class 10th Board Results 2024 Declared, Check Here

Class 10 Students of Telangana Board Can Check the Result on - results.bsetelangana.org The Board…

2 days ago